हिन्दी दिवस विशेष
मेरी चेन्नई यात्रा
उस दिन का जिक्र करते ही, मेरी आत्मा आज भी ग्लानि से भर जाती है... और मुझे अपनी गलती का अहसास हो जाता है....
दरअसल वो बात ही कुछ ऐसी थी...
मैं एक संस्था के कार्य से चेन्नई गया हुआ था.... वहां के अधिकांश लोग सिर्फ तमिल और अंग्रेजी में ही बात करना पसंद करते है... यह मेरी पहले से धारणा बनी हुई थी
संस्था का कार्य कृषि आधारित था, तो मुझे वहां एक गांव जाकर निरीक्षण करना था...
मुझे होटल से लेकर गांव पहुँचने तक भाषा से सम्बंधित किसी खाश दिक्कत का सामना नही करना पड़ा था....
मेरे मन में एक धारणा तो पहले से ही बनी हुई थी कि यहां के लोग हिन्दी नही समझते है...
इसीलिए हमने किसानों से भी अंग्रेजी में ही बात करना सुरु कर दिया.....लेकिन वो लोग मुझे कोई प्रतिक्रिया नही दे रहे थे...
उनकी कोई भी प्रतिक्रिया ना पाकर मुझे समझते देर नही लगी थी कि इन्हें अंग्रेजी समझ में नही आ रही है....मैंने एक वही के साथी के माध्यम से अपनी बात रखने का प्रयास किया....
अभी वहां पर थोड़ी देर ही हुई होगी की मेरे पास एक लखनऊ के दोस्त का फोन आ गया...जिनसे मैंने हिन्दी में बात की थी....
मेरी फोन पर हुई बात वहां बैठे सब किसान भी सुन रहे थे.... जैसे ही मैंने फोन रखा उनमें से एक किसान बोल पड़ा.....
"आप हिन्दी जानते है...फिर भी मुझसे अंग्रेजी में बात कर रहे थे"
उसे हिन्दी में बात करता देख मैं आश्चर्यचकित हो गया था...
मैं सिर्फ उसकी तरफ देख रहा था...मेरी जुबान से कोई भी शब्द नही निकल रहा था...
थोड़ी देर बाद उससे बोला...आप मुझे माफ़ करें, मुझे लगा आपको हिन्दी समझ नही आती होगी...
उसने मुझे तब यही कहा था..."ये सच है यहां सबको ठीक से हिन्दी नही आती है, लेकिन हम टूटी फूटी ही सही हिन्दी बोल लेते है...जबकि ऐसे और बहुत से लोग है जो हिन्दी बोल तो नही पाते लेकिन समझ जरूर लेते है....
उस दिन मुझे अपनी भूल पर पछतावा हो रहा था, लेकिन मुझे सबक मिल चुका था....
फिर मैंने उससे अपनी सारी बातें बिना किसी रुकावट के हिन्दी में ही की थी...
और आज हमे हिन्दी लिखते या बोलते हुए गर्व का अनुभव होता है....
आज हिन्दी दिवस के मौके पर आप सभी लोगो को मेरी तरफ से हार्दिक शुभकामनाएं
Comments
Post a Comment