बिटिया की शिक्षा
आँखों में अभी भी दूर दूर तक नींद का नामोनिशान नही था, मनोमस्तिष्क में अभी भी सुबह वाली घटना का चलचित्र चल रहा था करवट बदलते बदलते पता ही नही चला कब सुबह के 5 बज गए थे, अचानक से एक मीठी आवाज मेरे कानों में पड़ी "पीकू" ये आवाज "दीया" की थी (वैसे तो दीया मेरी पत्नी थी, लेकिन उससे पहले वो मेरी बहुत अच्छी दोस्त थी.... 5 साल रिलेशनशिप में रहने के बाद हम लोगो ने शादी की थी) "हाँ दीया" (पास में लेटी दीया की तरफ करवट बदलते मैंने बोला) "आज बड़ी जल्दी जग गये" (पास आते हुए दीया बोली) "दीया आज पूरी रात वही घटना सामने आती रही, इसी चक्कर में नींद ही नही आई" (उसे अपनी तरफ खींचते हुए बोला) "पीकू, ये समाज ऐसा ही है इसे सच और गलत की समझ बड़ी देर में होती, देखना आज नही तो कल ये समझेंगे जरूर" मुझे पता था दीया मुझे सिर्फ ढंढास बंधा रही थी, जबकि कल वाली घटना से वो भी अंदर से बहुत दुःखी थी। दरअसल कल हम लोग सुबह ऑफिस के लिए निकले ही थे की सामने होने वाले दृश्य...
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