एक प्यार ऐसा भी (1)

***1***



तुमको पता है जब पहली बार इन आंखो ने तुमको देखा था, बस देखती ही रह गई थी


तुम गोलगप्पे खाती हुई कितनी सुंदर लग रही थी, उन 4 लोगो के ग्रुप में तुम्ही तो सबसे अलग दिख रही थी, हल्की डैमेज जीन्स और ब्लू टीशर्ट में तुम किसी मॉडल से कम नही लग रही थी




बस उसी दिन से मैंने तुमको फॉलो करना सुरु कर दिया था, और फिर धीरे धीरे मुझे तुम्हारी सारी दिनचर्या याद सी हो गई थी,


अब मै रोज सुबह 8.30 पर ही कॉलेज पहुँच जाया करता था, क्योकि मुझे पता था कि तुम्हारा पहला क्लास 9 बजे सुरु होता है, और तुम रोज सुबह तैयार होकर 10 मिनट पहले ही हॉस्टल से निकल लेती थी, और मै वो पल गंवाना नही चाहता था....


जैसे जैसे तुम्हारे कदम CC (सेंट्रल कैंटीन) की तरफ बढ़ते, मेरी दिल की धड़कनों की रफ़्तार भी ठीक वैसे ही बढ़ती जाती थी...


अब ये हमारी रोज की दिनचर्या में शामिल हो गया था.....


अरे तुमको वो तुम्हारी दोस्त चंदा याद है ना!! 

अरे वही जब हम CC के बाहर बैठे तुम्हारा इन्तजार कर रहे थे, और उसने मुझसे कहा था....


"Hello sir!!"


हम उससे सिर्फ हेल्लो ही कर पाए थे तब तक तुम आ गई थी, और उसको अपने साथ लेकर चली गई थी....


अब तो तुमसे ज्यादा तुम्हारे दोस्त मुझे जानने लगे थे, लेकिन अब भी मेरी हिम्मत तुमसे बात करने की नही हो पा रही थी....


फिर भी हम दोनों का अक्सर कैंटीन, लव लेन या महेवा में आमना सामना हो ही जाता था, लेकिन तुम्हारा सर नीचे करके आगे निकल जाना मुझे तुम्हारे और करीब आने को मजबूर कर रहा था



तुम्हे याद है चर्च में जब तुम अपनी दोस्त के साथ बाइबिल पढ़ती थी, सायद ही तुमने कभी ध्यान दिया हो, पीछे वाली सीट पर मै भी बैठा करता था, लेकिन अभी तक तुमसे बात करने का हौशला जुटा नही पाया था.......


वो तो भला हो उस साल यमुना नदी में आईं हुई बाढ़ का, जब पुराने यमुना ब्रिज के ऊपर से पानी चलने लगा था, और अपनी यूनिवर्सिटी के अंदर डेरी विभाग तक पानी आ गया था...



तो दोपहर के 1 बजे भी नही होंगे की सभी विभाग और हॉस्टल के नोटिस बोर्ड पर एक A4 साइज का पेपर चिपका दिया गया था....



जिस पर बोल्ड अक्षरों में लिखा था



"Due to the flood the college is closed for 15 days"




हम लोग लौट कर अपने फ्लैट पर वापस आ गए थे...

अक्सर छुट्टीयां होने पर हम सभी मिलकर पार्टी किया करते थे, लेकिन इस बार हमारे कमरे का  माहौल कुछ बदला बदला सा नजर आ रहा था....



मैं कॉलेज से वापस अपने फ्लैट पर लौट तो आया था, लेकिन अक्सर मेरे चेहरे पर विद्यमान रहने वाली वो मुस्कान उस नोटिस बोर्ड को पढ़ते ही वही छूट गई थी, क्योकि मुझे ये पता था अब ये 15 दिन तुम्हे देखे बिना ही कटेंगे... मै अब भी तुम्हारे ही ख्यालों में खोया हुआ था..



लेकिन तभी मेरी बेस्ट फ्रेंड अन्नू का फ़ोन आया



पंकज जल्दी से सामान पैक कर लो, हम लोग इंटरसिटी से घर निकल रहे है, सभी हॉस्टल ख़ाली करवाये जा रहे है, यहां अंदर तक पानी भर गया है



वो मुझे बहुत घबराई सी लग रही थी, तो मैंने उससे सिर्फ इतना कहा तुम तुरंत सामान पैक करो मैं हॉस्टल पहुँच रहा हूँ




सभी दोस्तों को जब सारा वाक्या सुनाया तो वो भी घर चलने को राजी हो गए, फिर हमने सबसे तुरंत सामान पैक करने को बोलकर, हम अपना सामान पैक किये बिना ही हॉस्टल की तरफ निकल लिए, वैसे तो वाकिंग डिस्टेंस ही था, लेकिन हमारे पैर उस दिन बहुत तेजी से भाग रहे थे, अन्नू मुझे गेट पर ही मिल गई




वो घबराई हुई थी, जल्दी से उसका बैग रिक्शे पर रखवाया और चलने लगा



लेकिन तभी मुझे महसूस हुआ था की अरे इसके साथ तो तुम भी हो....




मैंने बिना देरी किये तुम्हारा वो भारी भरकम बैग उठा लिया था....जिसको किसी तरह तुम घसीटने की कोशिश कर रही थी....और तुम अब मुझे बस देखती जा रही थी



बैग को रिक्शे पर रखकर उस पर अन्नू को बिठा दिया था, और उससे रीवा रोड पर मिलने को बोला था




अब हम और तुम साथ साथ चल रहे थे, मुझे पता था तुम मुझे देख रही थी, लेकिन मै तुम्हारा लैप्पी बैग पीठ पर टांगे हुए दूसरी दोस्त के साथ बात करता हुआ चल रहा था।


जबकि मेरी एक निगाह तुम पर ही थी




तुम्हे याद है तुम लोगो को एक जगह रोककर हम अपना बैग लाने गये थे, और तुम लोग जिद करके "पराठेवाली चाची" के यहां तक आ गई थी




हमे आज भी याद है... तुम्हे वहां बिठाकर हमने पराठेवाली चाची को चलते चलते ही पराठे और कॉफ़ी बोली दी थी, और तुम लोग पराठे बनने के साथ साथ मेरा भी इन्तजार करने  लगी थी




हम जैसे ही अपने फ्लैट पर पहुचे सब रेडी थे, मेरे रूममेट ने हमारा बैग पैक कर लिया था



2 मिनट ही मुझे लगे होंगे कपड़े बदलने में


जल्दी से मैंने शॉर्ट और टीशर्ट डाली और बैग उठा के बाहर निकल आया




तुम्हे तो पता ही होगा हम सब मिलकर कितनी मस्ती किया करते थे, उस दिन भी मस्ती के मूड में थे .... तो हमने कहा पराठे और कॉफी चाची के यहां बोलकर आया हूँ, बाद में मत कहना मुझे नही मिले




तो पी.एल. को छोड़कर सबके सब बैग उठाकर तुरंत निकल लिए थे, अरे तुम पी.एल. को तो जानती ही होगी अरे अपना दुर्गेश... गोल्डमेडलिस्ट तो था ही वो उसके साथ ही उसका एक और भी रिकॉर्ड था, हम सभी लोगो में सबसे आखिर में वही निकलता था, उस दिन भी वो देर में पहुँचा था




तब तक सांडिल्य ने उसके हिस्से का पराठा भी खा लिया था, उस दिन पी.एल. ने सांडिल्य को बहुत बुरा भला कहा था, क्योकि उसको अच्छे से पता था अगर चाची दुबारा पराठा बनाएंगी तो कम से कम 30 मिनट तो लग ही जायेंगे, और इतनी देर में ट्रेन भी छूट सकती थी....



बेचारा क्या करता उसे कटलेट और कॉफी में ही उसे संतोष करना पड़ा था





जैसे ही मैंने पेमेंट करने लिए अपना बटुवा निकाला था, ये कह कर अन्नू ने रोक दिया तुम रहने दो वैसे भी सबकेे टिकेट तुझे ही लेने है



और उसने पेमेंट कर दिया था



रीवा रोड के ऊपर पंहुचने तक अपना पूरा लखनऊ ग्रुप इकट्ठा हो चूका था.... 

तो हम लोग बस का इन्तजार करने लगे थे....  किसी तरह एक बस मिली भी थी...लेकिन उसके अंदर बहुत भीड़ थी, फिर भी हम सब कैसे करके उसमें घुस गए थे, तुम्हारा बैग भारी होने की वजह से तुम चढ़ने की कोशिश कर रही थी, लेकिन चढ़ नही पा रही थी.....लेकिन ये मैं उस वक्त देख नही पाया था



लेकिन जैसे ही मेरी नजर तुम पर पड़ी तब दौड़ कर मैंने तुम्हारा बैग उठाया था, और मुझे ये पछतावा हो रहा था, की मैंने तुमको अकेले क्यू छोड़ दिया, और उस वक्त तुम मुझे सम्मान की नजरों से देखे जा रही थी... 




हमे उस वक्त नही पता था तुम मेरे बारे में क्या सोच रही हो, लेकिन मेरे मन के अंदर प्यार की लहरें हिलोरा मारने लगी थी




शेष आगे-

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